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भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
Author(s) -
डॉ. रजनी श्रीवास्तव
Publication year - 2022
Publication title -
praxis international journal of social science and literature
Language(s) - Hindi
Resource type - Journals
ISSN - 2581-6675
DOI - 10.51879/pijssl/050203
Subject(s) - business
भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता एवं सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का संरक्षण करता है। इन संवैधानिक अधिकारों के अतिरिक्त पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार ने उपेक्षित लोगों के लिए सरकार समर्थित अनुदानों को सुनिश्चित करने के लिए विशेष बल दिया और इसके लिए विभिन्न ऐतिहासिक कानूनों का निर्माण किया गया है। इन कानूनों का निर्माण अधिकार आधारित अवधारणा के आधार पर किया गया है जो अत्यंत प्रगतिशील एवं सराहनीय है। हमारे समाज में महिलाएं शिक्षित होते हुए भी अपने अधिकारों से अनभिज्ञ है। भारतीय समाज में महिलाओं का एक बड़ा वर्ग आज भी अपने कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं है। वर्तमान समय में महिलाएं कामयाबी की बुलंदियों को छू रही हैं प्रत्येक क्षेत्र में अपनी विद्वता का लोहा मनवा रही हैं। इन सब के बावजूद महिलाओं पर होने वाले अत्याचार जैसे- बलात्कार, प्रताड़ना, शोषण आदि में कोई कमी नहीं आई है। प्रगतिशील कानूनों के बावजूद अति अपेक्षित और हाशिए पर जीने वाले लोग विशेषकर महिलाएं कानून द्वारा संरक्षित अपने जायज हकों को प्राप्त नहीं कर पा रही हैं।

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