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तत्त्वार्सथ ू त्र मेंनिहित ग ु णस्र्ाि के अभिगम की समीक्षा
Author(s) -
Deepa Jain
Publication year - 2018
Publication title -
towards excellence
Language(s) - Hindi
Resource type - Journals
ISSN - 0974-035X
DOI - 10.37867/te100113
Subject(s) - computer science
तत्त्वार्सथ ूत्र में सात नय (नैगम संग्रह व्यवहार ऋजुसूत्र शब्द समममिरूढ़ एवं एवंिूत) वर्णथत हैं। जीवसमास (जीवठाण अर्वा गुणस्र्ान) में अंततम दो नयों का अल्लेख नह ं है। वह ं मसद्धसेन ददवाकर नैगम नय को अस्वीकार करते हुए सममिरूढ़ एवं एवंिूत के सार् इनकी संख्या 6 मानते हैं। इससे प्रतीत होता है कक नयों की अवधारणा छठी सद के उत्तराधथ में ववकमसत हुई हैऔर जीवसमास इससे पूव।थ जबकक गुणस्र्ानों के आधार पर अवलोकन ककया जाय तो स्पष्ट होता है कक तत्त्वार्सथ ूत्र में गुणस्र्ानों की अवधारणा ज्यों की त्यों देखने को नह ं ममलती जबकक जीव समास मेंहै। षट्खण्डागम में िी पााँच नयों का उल्लेख है। गुणस्र्ान की अवधारण लगिग पााँचवीं सद के उत्तराद्थध और छठी सद के पूवाथद्थध में किी अस्स्तत्व में आयी होगी ऐसा माना जा सकता है।

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