
जीवन के समग्र विकास में यज्ञ की भूमिकाः वैदिक वाड.मय के परिप्रेक्ष्य में
Author(s) -
Indrani Trivedi,
Saraswati Devi
Publication year - 2019
Publication title -
interdisciplinary journal of yagya research
Language(s) - Hindi
Resource type - Journals
ISSN - 2581-4885
DOI - 10.36018/ijyr.v2i1.16
Subject(s) - materials science
भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान के मूल आधार यज्ञ व गायत्री हैं। वेद हमारे ज्ञान का स्रोत रहे हैं, वेद के विषय पर दृष्टिपात करें तो ज्ञात होगा कि वेद का मुख्य केन्द्रबिन्दु यज्ञ ही रहा है। प्राचीनकाल से ही यज्ञ की महिमा का गुणगान विभिन्न वैदिक वाड.मय ने किया है। वेदों के मंत्रों से यज्ञ के स्वरूप व महिमा गूंजित होती है। यज्ञ द्वारा अनेक लाभ प्राप्त किये जाते रहे हैं, भौतिक स्तर, आध्यात्मिक स्तर अथवा राष्ट्रीय स्तर की समस्याएँ हो, स्वास्थ्य संबंधी किसी भी रोग से ग्रसित हो, सभी में यज्ञ का प्रत्यक्ष लाभ हो सकता है। यज्ञ केवल कर्मकाण्ड तक ही नहीं अपितु जीवन दर्शन तक विस्तृत है, यज्ञ से हमें श्रेष्ठ कर्मो की प्रेरणा भी मिलती है। इन सभी तथ्यों का वर्णन वेदों में किया गया है किन्तु वर्तमान में हम इन वैदिक ज्ञान से पूर्णरूप से भिज्ञ नहीं है अतः आवश्यकता है कि हम वैदिक ज्ञान में निहित यज्ञ के स्वरूप से भलिभाँति परिचित हों। यह शोध पत्र इन्हें उद्देश्यों को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया।