
यज्ञ स्वास्थ्य का पर्याय
Author(s) -
वीणाविश्नोई शर्मा
Publication year - 2018
Publication title -
interdisciplinary journal of yagya research
Language(s) - Hindi
Resource type - Journals
ISSN - 2581-4885
DOI - 10.36018/ijyr.v1i2.10
Subject(s) - computer science
समस्त लौकिक व वैदिक संस्कृत वाड्.मय में यज्ञ शब्द बहुव्यापी अर्थों में प्रयुक्त होता है। यज्ञ शब्द अनेक अर्थों से युक्त होते हुए भी मुख्यतया अग्नि में वेद मन्त्रों से विशेष विधि से साकल्यों का हवन करने के अर्थ में सर्वाधिक प्रयुक्त है। आयु संवर्द्धन में यज्ञ ही महत्वपूर्ण है। पूर्व मीमांसा दर्शन, वैदिक वाड.मय तथा निरुक्त आदि के प्रमाणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि यज्ञ की परिभाषा और स्वरुप पूर्णतः वैज्ञानिक हैं। यज्ञ का आयु संवर्द्धन में सुनिश्चित योगदान है। स्वास्थ्य के लिए यज्ञ विधान अमृतोपम है। यज्ञ से विचारों का शोधन, वायु का औषधीकरण, एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता हैं। यज्ञ द्वारा त्वक्रोग, एक्जिमा, यक्ष्मा तथा दमा रोग, उन्माद या एपिलेप्सी व हिस्टीरिया रोग, गर्भ दोष निवारण, ज्वर चिकित्सा आदि रोगों के उपचार के विधान मिलते हैं। हमारे ऋषि मुनि साक्षात्कृतधर्मा और उच्चकोटि के वैज्ञानिक थे। पदार्थ विज्ञान से लेकर चेतना के विभिन्न घटकों का गहन शोध उनके द्वारा सम्पन्न होता रहा है। यज्ञ इन ऋषियों के शोध का अनुपम उपहार है। इस शोध प्रक्रिया द्वारा यज्ञ- चिकित्सा पूर्ण रुप से विकसित हुई है।यह एक समग्र जीवन पद्धति है, जिसको स्मरणपूर्वक अपनाने वाला सदैव स्वस्थ, प्रसन्न, तेजस्वी, यशस्वी होता हुआ दीर्घायु प्राप्त करता है।