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यज्ञ : भारतीय संस्कृति के मनोवैज्ञानिक मूल्यों का सार्वभौमिक संवाहक
Author(s) -
ईप्सित प्रताप सिंह,
शालिनी राठौर
Publication year - 2018
Publication title -
interdisciplinary journal of yagya research
Language(s) - Hindi
Resource type - Journals
ISSN - 2581-4885
DOI - 10.36018/ijyr.v1i1.8
Subject(s) - psychology
यज्ञ प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति का आधार रहा है । हमारे आर्ष ग्रन्थ बड़ी ही मजबूती के साथ यज्ञ के महत्व का एक स्वर में गान करते है । भारत वर्ष सदा से अपने उत्कृष्ट मनोवैज्ञानिक मूल्यों के लिए जाना जाता रहा है । प्रस्तुत शोध पत्र में उन्ही मनोवैज्ञानिक मूल्यों के संवाहक के रूप में यज्ञ की भूमिका स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है । शोधपत्र में सैद्धांतिक आधार पर यज्ञ की श्रेष्ठता को वास्तविकता के धरातल पर सिद्ध करने का विनम्र प्रयास किया गया है । संगतिकरण, सामजिक समरसता, आन्तरिक अभियांत्रिकी एवं व्यक्तित्व विकास जैसे अनेक व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक मूल्य व्यक्ति में विकसित होते है, जिनका सुस्पष्ट प्रभाव समाज पर दृष्टिगोचर होता है । यज्ञ मात्र कर्मकांड तक सीमित प्रक्रिया नहीं है, अपितु यह उससे कहीं अधिक, व्यक्ति एवं समाज का बहुमुखी विकास करने का अचूक साधन है । वेदों से लेकर आधुनिक वैज्ञानिकों तक सभी ने यज्ञ की उर्जा को विभिन्न पैमानों पर मापकर सही पाया है । वर्तमान समय में संसाधनों से अधिक मनोबल की आवश्यकता है, और हमारी इस आवश्यकता को यज्ञ से बेहतर कोई पूर्ण नहीं कर सकता । यज्ञ में मौजूद अग्निशक्ति, मंत्र शक्ति एवं समूह शक्ति का समायोजन क्रांतिकारी बदलाव लाने में सक्षम है।

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