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माहेश्वर सूत्र और उनकी वैज्ञानिकता
Author(s) -
Radheshyam Chaturvedi
Publication year - 2016
Publication title -
dev sanskriti : interdisciplinary international journal (online)/dev sanskriti : interdisciplinary international journal
Language(s) - Hindi
Resource type - Journals
eISSN - 2582-4589
pISSN - 2279-0578
DOI - 10.36018/dsiij.v7i0.80
Subject(s) - computer science
विश्व की सत्चित् सत्ता अर्थात परमशिव जब आनन्द से उच्छलित अथवा क्रोध से उद्रिक्त होते है तब नृत्य करते हैं। आनन्दोच्छलत्ता सृष्टि के प्रारम्भ का और क्रोधोद्रेक• संहार का संकेतक• होता है। सृष्टि के कर्ता•ब्रह्मा के चार मानसपुत्र- सनक, सनन्दन, सनातन और सनत कुमार, परमज्ञान की प्राप्ति के लिये तप कर रहे थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर संसार से उनका उद्धार करने के लिए भगवान् शिव ने नृत्त१ के अन्त में चौदह बार डमरू बजाया। इस डमरू ध्वनि से तपस्यारत सनक आदि को ज्ञान हो गया और वे मुक्त हो गये।