
पातंजल योग सूत्र में अध्यात्म की वैज्ञानिक प्रक्रिया
Author(s) -
Asim Kulshrestha
Publication year - 2015
Publication title -
dev sanskriti : interdisciplinary international journal (online)/dev sanskriti : interdisciplinary international journal
Language(s) - Hindi
Resource type - Journals
eISSN - 2582-4589
pISSN - 2279-0578
DOI - 10.36018/dsiij.v6i0.61
Subject(s) - computer science
मनुश्य जीवन के गूढ़तम् रहस्यों को ज्ञात करने के लिये एवं जीवन को सार पूर्ण व्यतीत करने के लिये आध्यात्मिक ज्ञान अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। अध्यात्म विज्ञान से मनुश्य को जीवन के उन गूढ़ रहस्यों का ज्ञान प्राप्त होता है जिसके माध्यम से मनुश्य, जीवन की जटिलतम् समस्याओं और परिस्थितियों का समाधान करने की योग्यता प्राप्त करता है। आधुनिक समय में जीवन के रहस्यों को समझने और अध्यात्म से सम्बन्धित विद्याओं को दार्षनिक और काल्पनिक कहकर नकार देने का प्रचलन बढ़ चला है। इसके अतिरिक्त अध्यात्म के नाम पर विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न प्रकार के प्रपंचों का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। आज के वैज्ञानिक युग में यदि अध्यात्म की वैज्ञानिकता को स्पश्ट कर अध्यात्म की वैज्ञानिक प्रक्रिया को जनसाधारण के समक्ष प्रस्तुत किया जाये तो संभव है कि अध्यात्म के सन्दर्भ में जो विभिन्न नकारात्मक एवं मिथ्या बातें प्रचारित हैं उसे जनसाधारण अस्वीकार करे। महर्षि पतंजलि ने अपने योग सूत्रों में सामंजस्य और उससे उपजी समग्रता का मौलिक सृजन किया है। महर्षि पतंजलि द्वारा किया गया यह प्रयास सिर्फ बौद्धिक सूत्रों का ताना-बाना भर नहीं है। वह वेदों की ऋचाओं, उपनिषद्ों की श्रुतियों के दृष्टा की भंाँति क्रान्तिदर्शी प्रतीत होते हैं। महर्षि पतंजलि ने अनुभूतियों और उपलब्धियों की सर्वांगीण अभिव्यक्ति योग सूत्रों के माध्यम से दी है। महर्षि पतंजलि की दार्शनिक प्रणाली इसी सौन्दर्य के कारण दर्शनीय है क्योंकि इसमंे किसी प्रणाली अथवा उसमें निहित तत्वों की न तो अवहेलना है न ही उपेक्षा। प्रस्तुत षोध पत्र का उद्देष्य जनसाधारण को पांतजल योग सूत्र में वर्णित अध्यात्म के वास्तविक स्वरूप से अवगत कराने के साथ-साथ अध्यात्म के वैज्ञानिक स्वरूप एवं अध्यात्म की वैज्ञानिकता को अवगत कराना है।