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विद्यालयों में कोल जनजातीय बच्चों के अवधारण की चुनौतियाँ
Author(s) -
प्रिन्स कुमार,
शिरीष पाल सिंह
Publication year - 2021
Publication title -
scholarly research journal for interdisciplinary studies
Language(s) - Hindi
Resource type - Journals
eISSN - 2319-4766
pISSN - 2278-8808
DOI - 10.21922/srjis.v8i65.1341
Subject(s) - psychology
प्रस्तुत शोध-पत्र “विद्यालयों में कोल जनजातीय बच्चों के अवधारण की चुनौतियाँ” से सम्बन्धित है । अध्ययन का मुख्य उद्देश्य कोल जनजाति के छात्रों की वर्तमान शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करना है । जनसंख्या के रूप में उत्तर प्रदेश प्रयागराज (इलाहबाद) जिले के शंकरगढ़ ब्लाक में स्थित विद्यालयों में कक्षा प्रथम से कक्षा अष्टम में अध्ययनरत कोल जनजाति के समस्त छात्रों को जनसंख्या के रूप में सम्मिलित किया गया । न्यादर्श के रूप में शोध की वर्णनात्मक प्रकृति के अनुरूप उद्देश्यपूर्ण प्रतिदर्शन विधि का प्रयोग किया गया जिसमें कुल 100 छात्र-छात्राओं को सम्मिलित किया गया । शोध-उपकरण के रूप में शैक्षिक स्थिति को ज्ञात करने के लिए शोधार्थी द्वारा स्व:निर्मित उपकरण प्रश्नावली एवं साक्षात्कार अनुसूची का प्रयोग किया गया । निष्कर्ष के रूप में यह पाया गया वर्तमान शिक्षा पद्धति में शिक्षण एवं पाठ्यक्रम का प्रारूप कुछ इस प्रकार से निर्धारित किया गया है कि आप जनमानस के लिए प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य ही स्पष्ट नहीं हो पाते हैं । प्रचलित शिक्षा जन-मानस के दैनिक-जीवन में अनुपयोगी प्रतीत होती है । अधिकतर विद्यार्थी शैक्षिक समस्याओं का कारण विद्यालय जाने का कोई साधन न होना तथा घर से विद्यालय का दूर होना मानते हैं । कोल जनजाति के लोगों को शिक्षा के प्रति नकारात्मक सोच थी क्योंकि उनको लगता था कि उनके बच्चे पढ़-लिख कर भी एक अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते । कोल जनजाति के अधिकांश लोग अशिक्षित थे जिसके कारण वे शिक्षा के महत्त्व को नहीं समझते थे । कोल जनजाति के लोग दिन भर की मजदूरी से अपने बच्चों का पेट भरते हैं । उन विद्यार्थियों का कहना था कि कक्षा में शिक्षक द्वारा पढ़ाई जाने वाली शिक्षा अच्छे से समझ में नहीं आती है । शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड होने के बाद भी बोलकर पढ़ाना समझ से बाहर चला जाता है । कक्षा के दौरान सहायक-सामग्री का भी अभाव है जिसके कारण शिक्षण के दौरान बाधा उत्पन्न होती है । विद्यालय में देरी से पहुँचने पर शिक्षक द्वारा उन्हें दंडित किया जाता है । अधिकांश विद्यार्थियों का कहना था कि उनके विद्यालय में पानी पीने के लिए हैण्डपम्प तथा वाटरकूलर की सुविधा है और लड़कों एवं लड़कियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था है । अधिकांश विद्यार्थियों के घर के आस-पास का वातावरण अच्छा नहीं है जिसके चलते उसका प्रभाव उनके परिवारों पर पड़ता है । घर के आस-पास के लोग शिक्षा के महत्त्व को नहीं समझते हैं । परिवार में यदि कोई नशा करके घर में आता है तो घर का माहौल बिगड़ जाता है और उनके परिवार में आये दिन लड़ाई व झगड़े होते हैं । इस सम्बन्ध में विद्यार्थियों ने कहा कि शिक्षक जब मातृभाषा या स्थानीय भाषा में शिक्षण कार्य करते हैं तो वह कक्षा में अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं जबकि विद्यार्थियों ने कहा कि उन्हें शिक्षक द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली भाषा पूर्णरूप से समझ में आती है ।

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